आह!
कल से महसूस कर रहा हूँ जैसे किसी अंजान शख्श नेँ अचानक आकर मेरे इन जख्मो को फिर हरा कर दिया है। वो 3 साल पहले का 26/11 का मंजर आँखोँ के सामनेँ आ गया, मेरी रूह काँप उठी.....
ना जाने कब तक मै यूँ ही कभी संसद भवन, मुंबई लोकल जैसे हमलो को याद करता रहूँगा और अफजल गुरु, कसाब जैसे लोगो अदालतो मेँ मौत के बदले मिली रहम पे मुस्कुराता देखुँगा|
उस पर ऊपर से, सियासतदानोँ की अजीब सी टिप्पणीयोँ रुपी नमक को, लोगो के दिलो के जख्मो पे छिडकता देखूँगा, जिन्होँनेँ नेँ अपनोँ को खोया हैँ।
मै ऐक आम आदमी इस देश मेँ कब बेखौफ सङको पे चल सकूँगा।
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