वो तेरी मासूम सी शरारत, चेहरे की मुस्कुराहट।
वो पायलो की छम छम, वो चूड़ियो की खन खन।
जो मेरे दिल का चैन लेती थी, सपनोँ को रंग देती थी।
उसे ढूँढता हूँ अब मै, तन्हाइयोँ मेँ जाकर।
सहमा हुआ रहता हूँ, तेरी आहटो को पाकर।
तेरी जुल्फो मेँ बसी खुशबू, अब फूलो मेँ ढूँढता हूँ।
तेरे छूने से उठी सिहरन, फिज़ा मेँ ढूँढता हूँ।
दिये थे जो गुलाब तूनेँ, किताबो मेँ ढूँढता हूँ।
खतो मेँ लिखे लफ्जो को, इबारत सा पूजता हूँ।
कभी जो लव थे तेरे लव पर, अब वो जामो को चूमते है।
रात दिन राहो पर, तेरे निशां ढूँढते है।
मेरी रुह मेँ ऊतरकर, तुम कहाँ चली गई हो।
था कसूर क्या वो मेरा, जो तुम इतना बदल गई हो।
था कसूर क्या वो मेरा, जो तुम इतना बदल गई हो।
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